सनातन बोर्ड के उद्देश्य
सनातन बोर्ड का गठन विशिष्ट उद्देश्यों के लिए होगा जिनमें से कुछ निम्न प्रकार हो सकते हैं:
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1. सनातन बोर्ड की संरचना
सनातन बोर्ड का गठन चार स्तरों पर किया जाएगा:
जनपद सनातन बोर्ड के सदस्य सीधे जनता के द्वारा चुने जाएंगे.
राज्य सनातन बोर्ड के सदस्यों का चयन जनपद सनातन बोर्ड के सदस्यों के द्वारा किया जाएगा.
राष्ट्रीय सनातन बोर्ड के सदस्यों का चयन राज्य सनातन बोर्ड के सदस्यों के द्वारा किया जाएगा.
सनातन बोर्ड के गठन हेतु नियम इस प्रकार से बनाए जाएंगे कि सदस्यों के चयन में पूर्ण पारदर्शिता का पालन किया जाए.
सनातन बोर्ड के गठन हेतु नियम इस प्रकार से बनाए जाएंगे कि कोई अयोग्य व्यक्ति धन बल अथवा बाहुबल का प्रयोग करते हुए सनातन बोर्ड का सदस्य ना बन सके.
सनातन बोर्ड के गठन हेतु नियम इस प्रकार से बनाए जाएंगे कि कोई सनातन द्रोही अथवा उसके परिवारजन, सनातन बोर्ड के सदस्य ना बन सकें.
सनातन बोर्ड के गठन हेतु नियम इस प्रकार से बनाए जाएंगे कि किसी व्यक्ति के सदस्य होने अथवा ना होने में उसके पंथ, सम्प्रदाय, लिंग, रंग, भाषा अथवा व्यवसाय की कोई भूमिका ना हो.
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2. अस्थाई सनातन बोर्ड का गठन
उपरोक्त उल्लेखित तीनों सनातन बोर्ड के गठन हेतु भारत सरकार और भारत के प्रबुद्ध सनातनी नागरिकों के द्वारा एक अस्थायी सनातन बोर्ड का गठन किया जाएगा.
अस्थायी सनातन बोर्ड का गठन अधिकतम दो वर्षों के लिए होगा तथा इसके कार्यकाल को किसी भी स्थिति में बढ़ाया नहीं जाएगा.
अस्थायी सनातन बोर्ड को अपने गठन से दो वर्षों के भीतर अनिवार्य रूप से भारत के प्रत्येक जनपद में "जनपद सनातन बोर्ड" का गठन करना होगा.
अस्थायी सनातन बोर्ड को अपने गठन से दो वर्षों के भीतर अनिवार्य रूप से "जनपद सनातन बोर्ड" की सहायता लेकर भारत के प्रत्येक राज्य में "राज्य सनातन बोर्ड" का गठन करना होगा.
अस्थायी सनातन बोर्ड के कार्यकाल की समाप्ति के पूर्व सभी राज्य सनातन बोर्ड मिलकर "राष्ट्रीय सनातन बोर्ड" का गठन करेंगे.
अस्थायी सनातन बोर्ड को अपने गठन के साथ ही भारत की सभी धार्मिक सम्पत्तियों का सर्वेक्षण प्रारंम्भ करना होगा. इस सर्वेक्षण का दो वर्षों में पूर्ण होना अपेक्षित होगा.
अस्थायी सनातन बोर्ड के द्वारा धार्मिक सम्पत्तियों के सर्वेक्षण में सहायता करने हेतु केंद्र सरकार तथा राज्य सरकार बाध्य होगी.
किसी भी धार्मिक संपत्ति पर विवाद होने की स्थिति में अस्थायी सनातन बोर्ड विवाद को सूचीबद्ध करेगा अस्थायी सनातन बोर्ड को धार्मिक सम्पत्तियों से सम्बंधित विवादों पर निर्णय लेने का अधिकार नहीं होगा किन्तु धार्मिक सम्पत्तियों की हानि रोकने के उद्देश्य से आवश्यक कदम उठाने का अधिकार होगा.
सभी विवादों के निराकरण का अधिकार स्थाई सनातन बोर्ड के गठन के पश्चात सम्बंधित जनपद सनातन बोर्ड को हस्तांतरित कर दिया जाएगा.
अस्थाई सनातन बोर्ड के सदस्य, अस्थाई बोर्ड के भंग हो जाने के पश्चात जनपद, राज्य अथवा राष्ट्रीय सनातन बोर्ड के सदस्य बनने हेतु पात्र होंगे किन्तु सीधे किसी भी बोर्ड का अध्यक्ष बनने हेतु पात्र नहीं होंगे.
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3. जनपद सनातन बोर्ड का गठन
भारत के प्रत्येक राज्य के प्रत्येक जनपद में सनातन बोर्ड का गठन "जनपद सनातन बोर्ड" के नाम से होगा.
भारत के जन्मना सनातनी नागरिक ही जनपद सनातन बोर्ड के सदस्य बन सकेंगे.
भारत के ऐसे नागरिक जो कि जन्मना सनातनी नहीं हैं किन्तु सनातन धर्म के प्रति श्रद्धा के चलते न्यूनतम पंद्रह वर्षों से निर्बाध सनातन धर्म की सेवा करते रहे हैं, वे विशेष परिस्थियों में जनपद सनातन बोर्ड के सदस्य बनने योग्य होंगे.
जनपद सनातन बोर्ड का सदस्य बनने हेतु न्यूनतम शैक्षणिक अर्हता स्नातक होगी.
जनपद सनातन बोर्ड का सदस्य बनने हेतु संस्कृत में सम्भाषण अनिवार्य योग्यता होगी.
प्रत्येक जनपद सनातन बोर्ड में न्यूनतम आठ सदस्य होंगे.
जनपद सनातन बोर्ड में न्यूनतम चालीस प्रतिशत महिला सदस्य होंगे.
सनातन धर्म की शाखा के रूप में चिन्हित सभी पंथों अथवा सम्प्रदायों को जनपद सनातन बोर्ड का सदस्य बनने का सामान अवसर मिले इसके लिए न्यूनतम चालीस प्रतिशत सदस्य भारत के संविधान के अनुसार पिछड़े तथा अनुसूचित वर्ग के रूप में चिन्हित किये गए सनातन धर्मी सदस्यों में से होने चाहिए.
जनपद सनातन बोर्ड के अध्यक्ष का चयन जनपद सनातन बोर्ड के सदस्यों के बहुमत के आधार पर किया जायेगा।
जनपद सनातन बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में एक समुदाय के व्यक्ति को अधिकतम दो बार ही लगातार चुना जा सकता है।
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4. राज्य सनातन बोर्ड का गठन
भारत के प्रत्येक राज्य में सनातन बोर्ड का गठन "राज्य सनातन बोर्ड" के नाम से होगा.
राज्य सनातन बोर्ड में उस राज्य के प्रत्येक जनपद सनातन बोर्ड के अध्यक्ष, सदस्य के रूप में चयनित होंगे.
जनपद सनातन बोर्ड से चयनित सदस्यों के अतिरिक्त जनपद सनातन बोर्ड से चयनित सदस्यों की कुल संख्या के दस प्रतिशत सदस्य समाज के ऐसे प्रतिष्ठित एवं गणमान्य नागरिक में से चुने जाएंगे जो किसी भी सनातन बोर्ड के सदस्य नहीं हैं किन्तु बनने की अर्हता रखते हैं. ये सदस्य, राज्य सनातन बोर्ड के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष का चयन करने हेतु किये जाने वाले मतदान में भाग लेने के अतिरिक्त, सनातन बोर्ड के अन्य किसी भी कार्य में भाग नहीं ले सकेंगे.
राज्य सनातन बोर्ड के अध्यक्ष का चयन सभी सदस्यों के द्वारा गुप्त मतदान विधि से होगा.
राज्य सनातन बोर्ड के अध्यक्ष का कार्यकाल चार वर्ष होगा.
एक व्यक्ति को अधिकतम दो बार राज्य सनातन बोर्ड का अध्यक्ष चुना जा सकेगा.
राज्य सनातन बोर्ड का एक उपाध्यक्ष होगा जिसका चयन सभी सदस्यों के द्वारा गुप्त मतदान विधि से होगा.
राज्य सनातन बोर्ड के उपाध्यक्ष का कार्यकाल चार वर्ष होगा.
एक व्यक्ति को अधिकतम दो बार राज्य सनातन बोर्ड का उपाध्यक्ष चुना जा सकेगा.
एक ही परिवार के दो सदस्य एक साथ राज्य सनातन बोर्ड के सदस्य नहीं हो सकते.
एक ही परिवार के दो सदस्य लगातार दो बार राज्य सनातन बोर्ड के सदस्य नहीं हो सकते.
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5. राष्ट्रीय सनातन बोर्ड का गठन
भारत के सनातन बोर्ड का गठन "राष्ट्रीय सनातन बोर्ड" के नाम से होगा.
राष्ट्रीय सनातन बोर्ड में प्रत्येक राज्य सनातन बोर्ड से दो सदस्य चयनित किये जाएंगे.
राज्य सनातन बोर्ड से चयनित सदस्यों के अतिरिक्त राज्य सनातन बोर्ड से चयनित सदस्यों की कुल संख्या के दस प्रतिशत सदस्य समाज के ऐसे प्रतिष्ठित एवं गणमान्य नागरिक में से चुने जाएंगे जो किसी भी सनातन बोर्ड के सदस्य नहीं हैं किन्तु बन सकने की अर्हता रखते हैं. ये सदस्य, राष्ट्रीय सनातन बोर्ड के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष का चयन करने हेतु किये जाने वाले मतदान में भाग लेने के अतिरिक्त, सनातन बोर्ड के अन्य किसी भी कार्य में भाग नहीं ले सकेंगे.
भारत के बाहर अन्य राष्ट्रों में उपस्थित सनातन धर्म समूह अपने अपने धार्मिक प्रमुख का चयन कर सकेंगे तथा ये धार्मिक प्रमुख, भारत के राष्ट्रीय सनातन बोर्ड के मानद सदस्य होंगे.
भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमन्त्री तथा के न्यायाधिपति राष्ट्रीय सनातन बोर्ड के स्वाभाविक सदस्य होंगे. ये लोग अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष का चयन करने हेतु किये जाने वाले मतदान में भाग लेने के अतिरिक्त, सनातन बोर्ड के अन्य किसी भी कार्य में भाग नहीं लेंगे.
राष्ट्रीय सनातन बोर्ड के अध्यक्ष का चयन राष्ट्रीय सनातन बोर्ड के सभी सदस्यों के द्वारा गुप्त मतदान विधि से होगा.
राष्ट्रीय सनातन बोर्ड के अध्यक्ष का कार्यकाल चार वर्ष होगा.
एक व्यक्ति को अधिकतम दो बार सनातन बोर्ड का अध्यक्ष चुना जा सकेगा.
राष्ट्रीय सनातन बोर्ड के चार उपाध्यक्ष होंगे जिनका चयन राष्ट्रीय सनातन बोर्ड के सभी सदस्यों के द्वारा गुप्त मतदान विधि से होगा.
राष्ट्रीय सनातन बोर्ड के उपाध्यक्षों का कार्यकाल चार वर्ष होगा.
एक व्यक्ति को अधिकतम दो बार राष्ट्रीय सनातन बोर्ड का उपाध्यक्ष चुना जा सकेगा.
एक ही परिवार के दो सदस्य एक साथ राष्ट्रीय सनातन बोर्ड के सदस्य नहीं हो सकते.
एक ही परिवार के दो सदस्य लगातार दो बार राष्ट्रीय सनातन बोर्ड के सदस्य नहीं हो सकते.
राष्ट्रीय सनातन बोर्ड के मानद सदस्यों को अध्यक्ष अथवा उपाध्यक्ष के चयन हेतु मतदान का अधिकार नहीं होगा किन्तु विशेष परिस्थियों में आवश्यकता पड़ने पर अन्य सदस्यों कि अनुमति से मानद सदस्यों को मतदान का अधिकार दिया जा सकता है.
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6. सनातन बोर्ड का सदस्य नियुक्त किये जाने अथवा सदस्य बने रहने के लिए निरर्हताएँ
किसी व्यक्ति को सनातन बोर्ड का सदस्य नहीं बनाया जा सकेगा यदि -
वह सनातन धर्मी ना हो अथवा आधिकारिक रूप से सनातन धर्म का पालन करते हुए न्यूनतम पंद्रह वर्ष ना हुए हों.
बोर्ड के सत्तर प्रतिशत सदस्य उसकी नियुक्ति का विरोध करें.
उसपर पंथ, सम्प्रदाय, लिंग, रंग, आर्थिक एवं शारीरिक स्थिति, भाषा, व्यवसाय, नागरिकता इत्यादि के आधार पर अन्य सनातन धर्मी के विरुद्ध भेद भाव करने के आरोप सिद्ध हुए हों.
उस व्यक्ति पर किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार के आरोप हों तथा ऐसे आरोप में निर्दोष सिद्ध ना किया जा सका हो.
उस व्यक्ति के परिवार के किसी सदस्य पर किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार के आरोप हों तथा ऐसे आरोप में निर्दोष सिद्ध ना किया जा सका हो.
उस व्यक्ति पर किसी गंभीर प्रकृति का वाद लंबित हो.
उस व्यक्ति के परिवार के किसी सदस्य पर किसी गंभीर प्रकृति का वाद लंबित हो.
उस व्यक्ति के परिवार का कोई सदस्य वर्तमान में किसी भी सनातन बोर्ड का सदस्य हो.
उस व्यक्ति के परिवार का कोई सदस्य सक्रिय राजनीति में हो.
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7. राष्ट्रीय सनातन बोर्डके अध्यक्ष का पद त्याग
प्रधानमन्त्री, न्यायाधिपति एवं उपाध्यक्षों को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रीय सनातन बोर्ड के अध्यक्ष अपना पद त्याग सकेंगे यद्यपि अगले अध्यक्ष की नियुक्ति हो जाने तक अपने पद पर बने रहेंगे.
त्यागपत्र देने वाले अध्यक्ष अपने जीवनकाल में पुनः अध्यक्ष बनने की पात्रता नहीं रखेंगे.
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8. राष्ट्रीय सनातन बोर्ड के उपाध्यक्षों अथवा सदस्यों का पद त्याग
अध्यक्ष को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रीय सनातन बोर्ड के उपाध्यक्ष एवं सदस्य अपना पद त्याग सकेंगे. त्यागपत्र देने वाले उपाध्यक्ष अपने जीवनकाल में पुनः अध्यक्ष अथवा उपाध्यक्ष बनने की पात्रता नहीं रखेंगे.
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9. राज्य सनातन बोर्ड के अध्यक्ष का पद त्याग
राष्ट्रीय सनातन बोर्ड के अध्यक्ष को सम्बोधित करते हुए अपना पद त्याग सकेंगे यद्यपि अगले अध्यक्ष की नियुक्ति हो जाने तक अथवा त्यागपत्र स्वीकृत हो जाने तक अपने पद पर बने रहेंगे. त्यागपत्र देने वाले अध्यक्ष अपने जीवनकाल में पुनः अध्यक्ष बनने की पात्रता नहीं रखेंगे.
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10. राज्य सनातन बोर्ड के उपाध्यक्षों अथवा सदस्यों का पद त्याग
राष्ट्रीय एवं राज्य सनातन बोर्ड के अध्यक्षों को सम्बोधित करते हुए राज्य सनातन बोर्ड के उपाध्यक्ष एवं सदस्य अपना पद त्याग सकेंगे. त्यागपत्र देने वाले उपाध्यक्ष अपने जीवनकाल में पुनः अध्यक्ष अथवा उपाध्यक्ष बनने की पात्रता नहीं रखेंगे.
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11. जनपद सनातन बोर्ड के अध्यक्ष का पद त्याग
राष्ट्रीय तथा राज्य सनातन बोर्ड के अध्यक्षों को सम्बोधित करते हुए अपना पद त्याग सकेंगे यद्यपि अगले अध्यक्ष की नियुक्ति हो जाने तक अथवा त्यागपत्र स्वीकृत हो जाने तक अपने पद पर बने रहेंगे. त्यागपत्र देने वाले अध्यक्ष अगले दस वर्षों तक पुनः अध्यक्ष अथवा उपाध्यक्ष बनने की पात्रता नहीं रखेंगे.
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12. जनपद सनातन बोर्ड के उपाध्यक्षों अथवा सदस्यों का पद त्याग
राष्ट्रीय, राज्य एवं जनपद सनातन बोर्ड के अध्यक्षों को सम्बोधित करते हुए राज्य सनातन बोर्ड के उपाध्यक्ष एवं सदस्य अपना पद त्याग सकेंगे. त्यागपत्र देने वाले उपाध्यक्ष अगले दस वर्षों तक पुनः अध्यक्ष अथवा उपाध्यक्ष बनने की पात्रता नहीं रखेंगे.
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13. राष्ट्रीय सनातन बोर्ड के अध्यक्ष का हटाया जाना
राष्ट्रीय सनातन बोर्ड के अध्यक्ष को हटाया जा सकता है यदि
१. बोर्ड के न्यूनतम दो तिहाई सदस्यों द्वारा हस्ताक्षर करके अविश्वास प्रस्ताव पारित किया जाता है.
२. यदि बोर्ड के न्यूनतम दो तिहाई सदस्यों द्वारा हस्ताक्षर करके खंड (6) में विनिर्दिष्ट निरर्हताओं में से किसी एक से भी ग्रस्त हो जाने का अभियोग लगाया जाता है.
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14. अध्यक्ष, उपाध्यक्ष अथवा सदस्य का हटाया जाना
राष्ट्रीय सनातन बोर्ड के अध्यक्ष के अतिरिक्त किसी भी बोर्ड के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं सदस्य को हटाने हेतु खंड (6) में विनिर्दिष्ट निरर्हताओं में से किसी एक से भी ग्रस्त हो जाना पर्याप्त कारण होगा.
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धर्मस्थल सर्वेक्षण:
प्रत्येक जनपद सनातन बोर्ड के द्वारा उस जनपद सीमा के धार्मिक स्थलों का सर्वेक्षण किया जाएगा तथा सूचीबद्ध किया जायेगा.
समस्त सर्वेक्षण राज्य एवं राष्ट्रीय सनातन बोर्ड को अनिवार्य रूप से उपलब्ध करवाया जाएगा.
सर्वेक्षण प्रत्येक दो वर्षों में अथवा उच्चतर परिषद के द्वारा किसी भी समय निर्देशित किये जाने पर किया जाएगा.
धार्मिक स्थलों का सर्वेक्षण निम्नलिखित (विस्तारणीय) बिंदुओं पर किया जाना चाहिए :
धार्मिक स्थल का उद्देश्य.
धार्मिक स्थल की कुल सम्पत्तियाँ.
धार्मिक स्थल की कुल आय एवं आय के स्त्रोत.
धार्मिक स्थल के कुल व्यय एवं व्यय के स्त्रोत.
धार्मिक स्थल पर कार्यरत कर्मचारियों की संख्या.
सनातन धर्म तथा सनातन धर्मियों के हित में धार्मिक स्थलों के द्वारा किये जा रहे कार्य.
सर्वेक्षण के अंतर्गत धर्म परिषदों का गठन होने से पूर्व विभिन्न धार्मिक स्थलों अथवा धार्मिक सम्पत्तियों में यदि किसी प्रकार का परिवर्तन किया गया है तो ऐसे धर्म स्थलों एवं किये गए परिवर्तनों की पृथक सूचि बनाई जाएगी.
ऐसे किसी भी परिवर्तन से यदि धार्मिक स्थलों अथवा धार्मिक सम्पत्तियों को कोई हानि हुई है तो इसकी विस्तृत सूचि बनाई जाएगी.
ऐसे किसी भी परिवर्तन के लिए उत्तरदायी अधिकारियों, संस्था इत्यादि की सूचि बनाई जाएगी.
कोई अन्य जानकारियां जो कि निर्देशित ना हों किन्तु विहित करने योग्य हों, उन्हें भी सर्वेक्षण का हिस्सा बनाया जाना चाहिए.
धर्मस्थल विवाद निराकरण:
किसी धार्मिक संपत्ति के स्वामित्व को लेकर विवाद होने की स्थिति में निर्णय करने हेतु सनातन बोर्ड को न्यायालय के सामान ही अधिकार प्राप्त होंगे.
जनपद सनातन बोर्ड के द्वारा विवाद का समाधान ना हो सकने की स्थिति में राज्य सनातन बोर्ड के द्वारा विवाद के समाधान हेतु एक अथवा अधिक अधिकारियों की समिति का गठन किया जाएगा.
असंतुष्ट पक्ष राष्ट्रीय सनातन बोर्ड के समक्ष प्रार्थना कर सकने का अधिकार रखेंगे.
राष्ट्रीय सनातन बोर्ड का निर्णय अंतिम होगा तथा इसे किसी भी न्यायलय में चुनौती नहीं दी जा सकेगी ना ही शासन के द्वारा हस्तक्षेप किया जा सकेगा.
शासकीय भूमि पर धर्मस्थल विवाद होने की स्थिति में शासन के ऊपर सनातन बोर्ड का निर्णय बाध्यकारी होगा.
सनातन बोर्ड के निर्माण से पूर्व धार्मिक स्थलों अथवा धार्मिक सम्पत्तियों को शासन अथवा अन्य संस्थाओं द्वारा पहुंचाई गई हानि के लिए सनातन बोर्ड को सम्बंधित पक्षों के विरुद्ध दंडात्मक कार्यवाही का अधिकार होगा, साथ ही सभी सम्पत्तियाँ पर पुनः अधिकार प्राप्त करना सनातन बोर्ड का कर्तव्य भी होगा.
ऐतिहासिक भूल सुधार:
ऐतिहासिक रूप से जिन धार्मिक सम्पत्तियों को शासन के द्वारा अपने आधीन रख कर उनका दुरूपयोग किया गया हो, धार्मिक सम्पत्तियों का शासकीय अथवा अन्य कार्यों में उपयोग किया गया हो, द्वेषपूर्ण कार्यवाही करते हुए अथवा अपनी शक्तियों का दुरूपयोग करते हुए धार्मिक सम्पत्तियों की हानि की गई हो, ऐसी सभी सम्पत्तियों अथवा धर्मस्थलों की सूची सभी सनातन बोर्ड के द्वारा अनिवार्य रूप से बनाई जाएगी.
सभी हानियों का आकलन वर्तमान परिदृश्य के अनुसार किया जाएगा एवं अपराधियों की सूची बनाई जाएगी.
राष्ट्रीय तथा राज्य सनातन बोर्ड को सभी अपराधियों से आर्थिक हानि की भरपाई करने के लिए उचित कार्यवाही करने का अधिकार होगा तथा अपराधियों की अनुपस्तिथि में उनके वंशजों अथवा लाभान्वितों से आर्थिक हानि की भरपाई करने का अधिकार होगा.
गंभीर प्रकृति के आरोपों में सनातन बोर्ड को अपराधियों को राष्ट्रीय न्याय विधान के अनुसार दण्डित करने का अधिकार होगा तथा सनातन बोर्ड के द्वारा दिए गए निर्णयों का न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय के समान ही पालन करने के लिए शासन बाध्य होगा.
धार्मिक स्थल पंजीकरण:
भारत में स्थित सभी धर्मस्थल, जिनको विभिन्न राज्य सनातन बोर्ड के द्वारा सर्वेक्षण करके सूचीबद्ध किया गया है, राष्ट्रीय सनातन बोर्ड के द्वारा पंजीकृत किये जाएंगे.
प्रत्येक नया धार्मिक स्थल, धार्मिक उपयोग में आने वाली सम्पत्तियाँ एवं धार्मिक कार्यों हेतु दान दी गई सम्पत्तियाँ समान पद्यति से पंजीकृत होंगी.
शासन द्वारा संचालित धार्मिक स्थलों का पंजीकरण भी सनातन बोर्ड के पास होंगे.
ऐसे धार्मिक स्थल एवं सम्पत्तियाँ जो सनातन बोर्ड के अधिकार क्षेत्र में हैं किन्तु वर्तमान में अन्य संस्थाओं के आधीन हैं, भी पंजीकृत किये जाएंगे.
राष्ट्रीय धार्मिक स्थल पंजीकरण एवं सर्वेक्षण:
पवित्र धाम, ज्योतिर्लिंग एवं राष्ट्रीय महत्त्व के धार्मिक स्थलों का अलग से पंजीयन किया जाकर इनका सर्वेक्षण राष्ट्रीय सनातन बोर्ड के द्वारा किया जायेगा.
लेखांकन:
प्रत्येक धार्मिक स्थल को स्वतंत्र रूप से अपनी आय व्यय का लेखा रखना होगा तथा जनपद सनातन बोर्ड के द्वारा अपने अधिकार क्षेत्र के सभी धार्मिक स्थलों का लेखा एकत्र करके वार्षिक रूप से राज्य सनातन बोर्ड को उपलब्ध करवाना होगा.
शासन द्वारा संचालित धार्मिक स्थलों को अपनी आय व्यय का लेखा अनिवार्य रूप से जनपद सनातन बोर्ड को उपलब्ध करवाना होगा.
राष्ट्रीय धार्मिक स्थलों की आय का लेखांकन राष्ट्र सनातन बोर्ड के द्वारा वार्षिक रूप से किया जाएगा.
शासन द्वारा संचालित राष्ट्रीय धार्मिक स्थलों को अपनी आय व्यय का लेखा अनिवार्य रूप से राष्ट्रीय सनातन बोर्ड को उपलब्ध करवाना होगा.
शासन द्वारा आर्थिक सहायता प्राप्त करनेवाले धार्मिक स्थलों को अपनी आय व्यय का लेखा मांगे जाने पर वार्षिक रूप से शासन के साथ साझा करना होगा.
धार्मिक स्थलों की आय का वितरण:
धार्मिक स्थलों को होने वाली आय की कुछ प्रतिशत राशि अनिवार्य रूप से धर्म सेवांश के रूप में सनातन बोर्ड द्वारा स्थापित धार्मिक कोष में जमा की जाएगी.
प्रत्येक दो वर्षों में धार्मिक स्थलों से होने वाली आय एवं व्यय की समीक्षा करके धर्म सेवांश का पुनर्निर्धारण किया जाएगा.
शासन द्वारा संचालित अथवा आर्थिक सहायता प्राप्त धार्मिक स्थलों को होने वाली आय की कुछ प्रतिशत राशि भी धर्म सेवांश के रूप में धार्मिक कोष में जमा की जाएगी.
धार्मिक कोष एवं धर्म सेवांश का उद्देश्य एवं उपयोग:
धार्मिक स्थलों को होने वाली आय का कुछ अंश धर्म सेवांश के रूप में धार्मिक कोष में जमा किया जाएगा.
धार्मिक कोष का संचालन राष्ट्रीय सनातन बोर्ड के द्वारा किया जाएगा.
धर्म सेवांश के रूप में प्राप्त होने वाली आय को मात्र सनातन धर्म की सेवा हेतु उपयोग किया जाएगा.
आय रहित धार्मिक स्थलों के रख रखाव हेतु धार्मिक कोष के द्वारा धन दिया जाएगा.
धार्मिक शिक्षा हेतु धार्मिक विद्यालयों की स्थापना के लिए धार्मिक कोष के द्वारा धन दिया जाएगा.
सनातन धर्म के प्रचार एवं प्रसार हेतु धार्मिक कोष के द्वारा धन दिया जाएगा.
सनातन बोर्ड के कर्मचारियों के मानदेय हेतु धार्मिक कोष के द्वारा धन दिया जाएगा.
सनातन बोर्ड के द्वारा स्वतंत्र रूप से संचालित धार्मिक स्थलों के पुजारियों, पुरोहितों एवं कर्मचारियों के मानदेय हेतु धार्मिक कोष के द्वारा धन दिया जाएगा.
धार्मिक स्थलों का संचालन:
धर्म परिषदों को किसी भी धार्मिक स्थल की प्रकृति, कार्य पद्यति, परम्पराएं, रीति-रिवाज अथवा स्थानीय नियमों एवं धारणाओं को बदलने का अधिकार नहीं होगा.
धार्मिक स्थलों को पूर्ण अधिकार होगा कि वे अपने धार्मिक कृत्यों का निर्वाहन अपने पारम्परिक अथवा स्थानीय विश्वासों एवं नियमों के आधार पर करें.
कर्मचारियों की नियुक्ति:
धार्मिक स्थलों में मात्र सनातन धर्मी कर्मचारियों की ही नियुक्ति की जा सकेगी.
प्रत्येक स्वशासी धार्मिक स्थल अपने दैनिक कार्यों के संचालन हेतु अपनी सुविधा के अनुसार सनातनी कर्मचारियों की नियुक्ति कर सकेगा.
धर्म परिषदों पर निर्भर धार्मिक स्थलों में कर्मचारियों की नियुक्ति सनातन बोर्ड के द्वारा की जाएगी.
कर्मचारियों की नियुक्ति में लिंग, जाति, वर्ण, वर्ग अथवा अन्य किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जा सकेगा.
ऐसे धार्मिक स्थल जहां किसी विशेष प्रकार के पुजारियों की नियुक्ति का नियम है, को छोड़ कर, अन्य सभी धार्मिक स्थलों में पुजारियों अथवा पुरोहितों की नियुक्ति में लिंग, जाति, वर्ण, वर्ग अथवा अन्य किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जा सकेगा.
सभी कर्मचारियों को नियमानुसार योग्यता होने पर ही नियुक्त किया जा सकेगा.
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ईशनिंदा:
सनातन धर्म के वैश्विक रूप से अल्पसंख्यक होने के कारण तथा एकेश्वरवादी तथा सर्वोच्चतावादी मतों के द्वारा निरंतर सनातन धर्म के विरुद्ध किये जा रहे दुष्प्रचारों एवं प्रहारों से सनातनियों की रक्षा हेतु सनातन बोर्ड के द्वारा ईशनिंदा निरोधक अधिनियम का प्रारूप तैयार किया जाएगा.
ईश निंदा सम्बन्धी विषयों में निर्णय लेने का एवं दंड देने का प्राथमिक अधिकार राज्य सनातन बोर्ड के पास होगा.
राज्य सनातन बोर्ड के निर्णय के विरुद्ध राष्ट्रीय सनातन बोर्ड में प्रार्थना की जा सकेगी तथा राष्ट्रीय सनातन बोर्ड का निर्णय अंतिम होगा.
किसी भी सभ्य एवं प्रगतिशील समाज में निर्भीक होकर प्रश्न करना एवं शंका करना नागरिकों का मौलिक अधिकार होना चाहिए. ऐसी स्तिथि में किसी भी सभ्य एवं प्रगतिशील समाज में ईशनिंदा निरोधक अधिनियम का कोई स्थान नहीं होना चाहिए. सनातन बोर्ड का यह सतत प्रयास होना चाहिए कि एकेश्वरवादी, एकमार्गी तथा सर्वोच्चतावादी मतावलम्बियों को अन्य मतों के प्रति सम्मान और प्रेमभाव रखने के लिए शिक्षित किया जाए ताकि समय के साथ ईशनिंदा निरोधक अधिनियम स्वयं ही प्रभावहीन एवं अनावश्यक हो जाए.
नागरिकता:
भारत की नागरिकता लेने हेतु सनातन बोर्ड का अनापत्ति प्रमाणपत्र आवश्यक होगा.
नागरिकता लेने के इच्छुक आवेदकों के चरित्र एवं सनातन धर्म के प्रति उनकी निष्ठा कि जांच करना सनातन बोर्ड का कर्तव्य होगा.
यदि कोई वर्तमान नागरिक भारत अथवा सनातन धर्म के हितों के विरुद्ध कार्य करता है तो सनातन बोर्ड को उसकी नागरिकता निलंबित अथवा समाप्त करने का अधिकार होगा.
विशेष:
सनातन धर्म द्वारा परिभाषित परिवार : माता, पिता, पति, पत्नी, भाई, बहन, पुत्र, पुत्री, भाभी, बहनोई, बहु, दामाद सभी एक परिवार का सदस्य होंगे तथा एक परिवार के ऊपर बाध्य नियम सामान रूप से इन सभी सदस्यों पर बाध्य होंगे.